बृहस्पति मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ-Brihaspati Mantra Benefits in Hindi: बृहस्पति, सभी देवताओं के आचार्य या शिक्षक के स्वरूप में माना जाता है, इसलिए उन्हें देव-आचार्य भी कहा जाता है। वे सभी ग्रहों का नेतृत्व करते हैं और सभी ग्रहों में सर्वोत्तम हैं। बृहस्पति को सदियों से सौभाग्य, भाग्य, धन, समृद्धि, आध्यात्मिकता और धार्मिक मूल्यों का प्रतीक माना जाता है। वे पवित्र प्रार्थनाओं, मंत्रों, और भक्ति के स्वामी हैं, साथ ही सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह भी हैं। बृहस्पति ज्ञान, कर्मकांड, और युक्ति मंत्रों के स्वामी हैं। कई हिंदू शास्त्रों में, ऋषि बृहस्पति को शांत और संयमित व्यक्तित्व के रूप में वर्णित किया गया है, जो कर्तव्यपरायण होने के लिए जाने जाते हैं और हर समस्या का समाधान हमेशा उनके पास होता है। उनका दयालु स्वभाव सभी ने प्रशंसा की है और उनके हंसमुख व्यक्तित्व के कारण उन्हें हर मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है।
बृहस्पति को अन्य सभी ग्रहों की तुलना में सबसे दयालु और कृपालु ग्रह माना जाता है। इस ग्रह की पूजा से जातक को सभी प्रकार की समृद्धि और खुशी प्राप्त होती है। बृहस्पति बेहद नम्र हैं, और उनकी सराहना होती है क्योंकि वे वास्तव में परिवार में खुशियां लाते हैं। गुरु बृहस्पति की रोचक जन्म कथा है, जिसमें ऋषि अनिग्रास की पत्नी की भक्ति का महत्वपूर्ण संदेश है।
अनुसार, भगवान बृहस्पति का जन्म ब्रह्मांड के पहले प्रकाश से हुआ था। ऋषि बृहस्पति की दो पत्नियां हैं, शुभ और तारा, और उनकी सात बेटियां हैं। इनमें से देवी तारा से ही उनके सात पुत्र और एक पुत्री हुई, जिनमें से भारद्वाज बाद में राजा दुष्यंत के यहां गोद लिए गए थे।
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बृहस्पति मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ-Brihaspati Mantra Benefits in Hindi
देव-गुरु बृहस्पति मंत्र (Dev-Guru Brihaspati Mantra)
देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम । बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम ।।
अर्थ- मैं बृहस्पति के स्वामी, जो सभी देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं, को प्रणाम करता हूं। वह बुद्धि के स्वामी हैं, जो तीनों लोकों को नियंत्रित करते हैं।
बृहस्पति मंत्र अर्थ सहित
देव-गुरु बृहस्पति मंत्र के जाप के फायदे (Benefits of Chanting Dev-Guru Brihaspati Mantra in Hindi)
बृहस्पति मंत्रों का जाप करने का उद्देश्य भगवान बृहस्पति की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और समृद्धिवाद हो। यहां कुछ बृहस्पति मंत्र दिए जा रहे हैं, जिन्हें नियमित रूप से जप किया जा सकता है:
- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः (Om Gram Greem Graum Sah Gurave Namah)
- ॐ वृं वृष्टिं कुरु कुरु स्वाहा (Om Vrum Vrishtim Kuru Kuru Swaha)
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वृषभाध्वजाय विद्महे गुरुपुत्राय धीमहि, तन्नो गुरुः प्रचोदयात्। (Om Aim Hreem Shreem Vrishabhadhvajaya Vidmahe Guruputraya Dhimahi, Tanno Guru Prachodayat)
इन मंत्रों का नियमित रूप से जप करने से व्यक्ति को बृहस्पति के कृपा और आशीर्वाद का अनुभव हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप इन मंत्रों का सही उच्चारण करें और नियमित रूप से जप करें, पूजा करें, और ध्यान करें।
यह सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है कि आप इन मंत्रों का जाप शुभ मुहूर्त में करें और एक स्थिर ध्यान में रहें। इसके अलावा, धर्मिक और नैतिक जीवन भी अच्छे से बिताएं ताकि आपका साधना और उद्दीपन दोनों हो सकें।
कृपया ध्यान दें कि मंत्रों का जाप करने से पहले आपको उनका उच्चारण सही तरीके से सीखना चाहिए और यह अच्छे से समझना चाहिए कि आप किस देवता की पूजा और आराधना कर रहे हैं। इसके लिए एक अध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन लेना उचित हो सकता है।
वे व्यक्ति जो नए व्यापार उद्यम की शुरुआत करने की सोच रहे हैं, उनके लिए देव-गुरु बृहस्पति मंत्र का जाप अत्यंत फलप्रद होता है। बृहस्पति, भाग्य और समृद्धि के शक्तिशाली स्वामी माने जाते हैं। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की बुद्धि में वृद्धि होती है और वह नए दिशाओं में सोचने का साहस प्राप्त करता है।
गुरु बृहस्पति सभी देवताओं के उपास्य शिक्षक हैं और उन्हें ब्रह्मांड का सम्पूर्ण ज्ञान है। इस मंत्र के साथ, नए परियोजना की शुरुआत करने से व्यक्ति का सौभाग्य सुनिश्चित होता है और उसे आगे की यात्रा में सफलता का सामर्थ्य मिलता है।
बृहस्पति मंत्र का जाप व्यक्ति को सीधे भगवान के आशीर्वाद से जोड़कर उसे सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकता है, जिससे उसकी सभी प्रयासों में सफलता हो।
- नए व्यापार उद्यम में काम करने का सोच रहे व्यक्तियों के लिए देव-गुरु बृहस्पति मंत्र का जाप फायदेमंद है।
- मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की बुद्धि में वृद्धि होती है और वह नए दिशाओं में सोचने का साहस प्राप्त करता है।
- गुरु बृहस्पति सभी देवताओं के शिक्षक हैं और इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सौभाग्य सुनिश्चित होता है और नए परियोजना की शुरुआत करने में सफलता होती है।
- बृहस्पति मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सीधे भगवान के आशीर्वाद से जुड़कर सकारात्मक दिशा में प्रेरित हो सकता है।
बृहस्पति मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय | सुबह-सुबह, सुबह 4-6 बजे, गुरुवार |
इस मंत्र का जाप करने की संख्या | 19,000 बार |
बृहस्पति मंत्र का जाप कौन कर सकता है? | कोई भी |
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें | उत्तर या पूर्व, बृहस्पति यंत्र के साथ |
बृहस्पति मंत्र जाप विधि
बृहस्पति मंत्र का जाप विधि कोरेक्ट रूप से करने के लिए निम्नलिखित धाराओं का पालन करें:
- शुभ मुहूर्त:
- मंत्र जाप का सही समय बहुत महत्वपूर्ण है। बृहस्पति मंत्र का जाप गुरुवार (बृहस्पतिवार) या पूरे हफ्ते के प्रति एक बार के रूप में किया जा सकता है।
- पवित्रता बनाएं:
- जाप से पहले हाथ धोकर शुद्धि बनाएं और ध्यान लगाएं।
- आसन:
- सुखासन या पद्मासन में बैठकर मंत्र जाप करना उचित होता है।
- मंत्र उच्चारण:
- मंत्र का सही उच्चारण के लिए गुरु या योग्य व्यक्ति से सीखें।
- बृहस्पति मंत्र का उच्चारण में ध्यान दें और श्रद्धाभाव से करें।
- माला:
- मंत्र की जाप के दौरान माला का उपयोग करें। बृहस्पति मंत्र की माला में 108 मन्त्रों का जाप करें।
- ध्यान:
- मंत्र जाप के साथ ही ध्यान भी करें। बृहस्पति को मानसिक रूप से ध्यान में लाएं।
- नियमितता:
- बृहस्पति मंत्र का नियमित रूप से जाप करें, यानी हर दिन एक ही समय पर और समान मात्रा में।
- समाप्ति:
- मंत्र जाप के बाद भगवान बृहस्पति की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
- पूजा विधी:
- बृहस्पति की मूर्ति, यंत्र, या फोटो की पूजा करें, और उन्हें समर्पित करें।
- आरती:
- आरती गाकर और दीपक जलाकर पूजा का समापन करें।
ध्यान रहे कि यह सभी कदम सावधानीपूर्वक और श्रद्धाभाव से किए जाएं, तो ही उनका पूरा फल मिलेगा। इसके अलावा, अगर संभावना हो तो एक आध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करना भी फायदेमंद हो सकता है।
बृहस्पति बीज मंत्र
बृहस्पति बीज मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” (Om Gram Greem Graum Sah Gurave Namah) है। यह मंत्र भगवान बृहस्पति की आराधना के लिए किया जाता है और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव का अनुभव हो सकता है और उन्हें बेहतर भविष्य की प्राप्ति में सहायता हो सकती है। जप की संख्या आप अपनी साधना और समय के अनुसार बदल सकते हैं, लेकिन सामान्यत: १०८ बार का जप करना उचित माना जाता है।
इस मंत्र को सही रूप से उच्चारित करने के लिए, एक धार्मिक गुरु या योग्य व्यक्ति से सीखना अच्छा होता है, ताकि आप सही तरीके से और सही उत्तराधिकारी में जप कर सकें।
बृहस्पति गायत्री मंत्र
ॐ अंगि-रसाय विद्महे दंडायुधय धीमहि तन्नो जीवः प्रचोदयात् ॥
ॐ अंगिरसाय विध्महे दंडायुधय धीमहि तन्नो जीवः प्रचोदयात् !
ॐ गुरुभ्यो नमः। ब्रह्माण्डविज्ञानया विद्महे, सर्वग्रहपतये धीमहि। तन्नो गुरुः प्रचोदयात्।
इस मंत्र का जाप करते समय, व्यक्ति देव-गुरु बृहस्पति की कृपा, ज्ञान, और समृद्धि की कामना करता है तथा उनसे अध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करने का इच्छुक होता है।
बृहस्पति गायत्री मंत्र के लाभ
बृहस्पति गायत्री मंत्र का जाप करने से कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं:
- बृहस्पति ग्रह के प्रभाव को शांत करना:
- बृहस्पति गायत्री मंत्र का जाप करने से कुण्डली में बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति को अधिक सकारात्मक और स्थिर जीवन मिल सकता है।
- ज्ञान और बौद्धिक क्षमता को बढ़ावा:
- इस मंत्र का जाप व्यक्ति को ज्ञान और बौद्धिक क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकता है। बृहस्पति ग्रह ज्ञान और विद्या का प्रतीक है, और इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को उच्च शिक्षा और बुद्धिमत्ता में सहायता हो सकती है।
- प्रजनन संबंधी समस्याओं का समाधान:
- बृहस्पति गायत्री मंत्र का जाप करने से प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायता मिल सकती है। यह संतान प्राप्ति और परिवार के सुख-शांति की कामना करता है।
- सौभाग्य और सफलता:
- इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सौभाग्य और सफलता में वृद्धि हो सकती है। बृहस्पति ग्रह धन, समृद्धि, और सफलता का कारक है, और इस मंत्र के जाप से इन स्तरों में सुधार हो सकता है।
बृहस्पति गायत्री मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को अधिक सकारात्मक और उत्तम जीवन की प्राप्ति हो सकती है। यहां भक्ति और आस्था के साथ इस मंत्र का जाप करने से आप बृहस्पति ग्रह के सुखद प्रभावों को अपने जीवन में महसूस कर सकते हैं।
बृहस्पति मंत्र का अन्य संस्करण
ॐ वृषभध्वजाय विद्महे करुणिहस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् !
ॐ वृषभध्वजाय विद्महे कृणि हस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् !
ॐ गुरुदेवाय विध्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्
बृहस्पति बीज मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः॥
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।