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हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित || Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf || Hanuman Chalisa Lyrics in English Pdf || Who wrote hanuman chalisa

विस्तृत हिंदी भाषा में ‘हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf’ हनुमान चालीसा’ के शब्दों के साथ, इस पीडीएफ में “आपको हनुमान चालीसा का पूरा अर्थ भी मिलेगा। हनुमान चालीसा लिरिक्स को हिंदी में पढ़ें और इस पूर्णता से भरे पाठ के साथ भक्तिभाव से जुड़ें। यहाँ हिंदी में पीडीएफ डाउनलोड करें।

विशेषताजानकारी
नामहनुमान
अन्य नामबजरंगबली, मारुति, अंजनेय, केसरी नंदन
उपाधीपवनपुत्र (हवा का पुत्र), महावीर (महान योद्धा)
भगवान के भक्तश्रीराम
जन्मस्थानअंजनेरी (वर्तमान महाराष्ट्र के किश्किंधा)
माता-पिताअंजना / अंजनी (माता), केसरी (पिता)
पत्नीसुवर्चला
संबंधश्रीराम के भक्त, रामायण में केंद्रीय पात्र
लक्षणबंदर चेहरा, बलवान, भक्त, निष्ठावान
शक्तियाँउड़ान, अत्यंत बल, आकार परिवर्तन की क्षमता
रामायण में भूमिकासीता की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका, रावण के खिलाफ युद्ध में भी भागीदारी
हनुमान चालीसाहनुमान को समर्पित भक्तिपूर्ण स्तुति, तुलसीदास द्वारा रचित
प्रतीकताभक्ति, निष्ठा, बल, और बिना स्वार्थ की सेवा का प्रतीक
हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf
हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित || Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf
Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

।। दोहा ।।

श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार॥

।। चौपाई ।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बलधामा।
अञ्जनिपुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के सङ्गी॥

कञ्चन बरण बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुञ्चित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँप मूँज जनेउ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महाजगवंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाए।
श्रीरघुवीर हरषि उर लाए॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कही सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीही।
राम मिलाय राजपद दीही॥

तुम्हरो मंत्र बिबीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥

आपन तेज तुम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर रामतपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥

पावनतनय संकट हरण,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप॥

सियावर रामचंद्र की जय॥

श्रीहनुमान चालीसा की जय॥

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हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

Hanuman Chalisa Meaning in Hindi- 

श्री हनुमान चालीसा का हिन्दी अनुवाद :-

।। दोहा ।।

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारी । बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ॥

अर्थात – श्री गुरुजी के चरणों की धूलि से मन को पवित्र कर मैं श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं जो धर्म, अर्थ, काम व मोक्षदाता हैं । हे पवनपुत्र ! मैं आपका स्मरण करता हूं । मुझ निर्बल को बल-बुद्धि एवं ज्ञान देकर मेरे दुखों व दोषों का हरण करें ।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥

रामदूत अतुलित बलधामा । अंजनी-पुत्र पवन सुत नामा ॥

अर्थात – हे हनुमान आप ज्ञान-गुण के सागर हैं । तीनों लोकों मे आपकी कीर्ति उजागर है । हे कपीश्वर आपकी जय हो ! हे प्रभु श्री राम के दूत संसार में आपसे बलवान और कोई नहीं है । आप पवन पुत्र एवं अंजनी पुत्र के नाम से जाने जाते हैं ।

महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥

अर्थात – कुबुद्धि को दूर करने वाले महावीर और महापराकर्मी बजरंगबली आप सुबुद्धि वालों के सहायक हैं । आपका रंग कंचन जैसा है । सुन्दर वस्त्रों तथा कानों मे कुण्डल और घुँघराले बालों से आप सुशोभित हैं ।

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेऊ साजै ॥

शंकर सुवन केशरी नन्दन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥

अर्थात – आपके हाथों मे वज्र और ध्वजा है एवं आपके कंधे पर मूंज का जनेऊ शोभित है । हे शंकर के अवतार, केशरीनन्दन आपके पराक्रम और महान यश की सारे संसार मे वन्दना होती है ।

विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥

अर्थात – आप समस्त विद्याओं मे निपुण, गुणवान और अत्यंत चतुर हैं । आप सदा भगवान श्रीराम के कार्य करने को आतुर रहते हैं । आप भगवान श्रीराम का गुणगान सुनकर आनन्द विभोर हो जाते हैं । भगवान श्रीराम, माता सीता एवं लक्ष्मण आपके हृदय मे बसते हैं ।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । विकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र जी के काज संवारे ॥

अर्थात – आपने सूक्ष्म रूप धारण कर माता सीता को दिखाया एवं उन तक पहुँचे तथा विशाल-भयंकर रूप धारण कर रावण की लंका जला दी । आपने भयंकर रूप धारण कर राक्षसों का संहार किया और श्रीराम के उद्देश्य को सफल बनाने मे सहयोग दिया ।

लाय संजीवन लखन जियाये । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति किन्हीं बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

अर्थात – आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की । तब भगवान श्रीराम ने भाव-विभोर होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया । हे पवनपुत्र ! प्रभु श्रीराम ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मुझे मेरे भाई भरत के समान प्रिय हो ।

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥

अर्थात – ‘हजारों मुख तुम्हारा यशोगान गायें’ ऐसा कह कर प्रभू श्रीराम ने आपको अपने गले से लगा लिया । श्री सनत, श्री सनातन, श्री सनक, श्री सनन्दन आदि मुनि गण, भगवान ब्रह्मा एवं समस्त देवगण आपका गुणगान करते हैं ।

जम कुबेर दिकपाल जहां ते । कवि कोविद कहि सके कहां ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

अर्थात – यमराज, कुबेर, सभी दिशाओं के रक्षकगण, कवि, विद्वान आदि आपके पराक्रम और यश का सम्पूर्ण वर्णन कर पाने मे सक्षम नहीं हैं । आपने वानरराज सुग्रीव को भगवान श्रीराम से मिलवाकर सुग्रीव पर उपकार किया । आपने उन्हे राजा बनवाया ।

तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र योजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

अर्थात – आपके परामर्श को मानकर विभीषण लंका के राजा बने, यह बात सम्पूर्ण संसार जानता है । वो सूर्य जो हजारो-लाखों मील दूर है, उस सूर्य को आपने स्वादिष्ट फल समझकर निगल लिया ।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

अर्थात – भगवान श्रीराम कि दी हुई अंगूठी को आपने अपने मुंह मे रखकर समुद्र को पार किया, आपका ऐसा करना कोई आश्चर्य कि बात नहीं है । संसार के कठिन से कठिन काम आपकी कृपा से बिना किसी बाधा के आसानी से पूर्ण हो जाते हैं ।

राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥

अर्थात – आप भगवान श्रीराम के महल के दरवाजे के रखवाले हैं, जिसमे आपकी आज्ञा के बिना कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है । आपकी शरण मे रहने वाले व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त होते हैं और आप जिसके रक्षक हों उसे किसी बात का डर नहीं रहता ।

आपन तेज सम्हारो आपै । तीनहु लोक हांक ते कांपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥

अर्थात – आपके अपने वेग को केवल आप हीं सहन कर सकते हैं । आपकी गर्जना से तीनों लोक के प्राणी काँपने लगते हैं । हे बजरंगबली ! जो भी आपके नाम का जाप करता है, भूत-पिशाच उसके नजदीक कभी नहीं आते हैं ।

नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत वीरा ॥

संकट ते हनुमान छुड़ावै । मन-क्रम-बचन ध्यान जो लावै ॥

अर्थात – हे महावीर हनुमान जी ! आपके नाम का निरन्तर जाप करने से समस्त रोगों और कष्टों का नाश हो जाता है । जो मन-कर्म और वचन से अपना ध्यान आपमे लगाते हैं, उनको आप सभी कष्टों से मुक्त कर देते हैं ।

सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै ।

अर्थात – राजा श्री रामचन्द्र जी जो कि सर्वश्रेष्ठ तपस्वी हैं, उनके सभी कार्यों को आपने हीं पूरा किया है । जो कोई भी प्राणी पर आपकी शरण मे अपनी मनोकामनाएँ लेकर आता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं । जिस फल कि वह कल्पना भी नहीं करता, वह भी उसे प्राप्त हो जाता है ।

चारों जुग प्रताप तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ॥

अर्थात – आपका यश चारों युगों मे फैला हुआ है । समस्त संसार मे आपकी कीर्ति का प्रकाश चमचमा रहा है । हे प्रभु श्रीराम के दुलारे बजरंगबली जी, आप साधु-संतों की रक्षा करते हैं और दुष्टों, राक्षसों का सर्वनाश करते हैं ।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता । अस वर दीन्ह जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥

अर्थात – माता जानकी के वरदान के अनुसार आप अपने किसी भी भक्त को ‘आठों सिद्धियाँ’ एवं ‘नौ निधियाँ’ प्रदान कर सकते हैं । आप सदैव भगवान श्रीराम की शरण मे रहते हैं, आपके पास सभी दुखों के नाश के लिए राम नाम की औषधि है ।

तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अन्तकाल रघुबर पुर जाई । जहां जन्म हरि भक्त कहाई ॥

अर्थात – आपका भजन करने वाले को भगवान श्रीराम प्राप्त होते हैं, और उनके जन्म-जन्मांतर के दुख दूर हो जाते हैं । आपकी भक्ति करने वाले अन्त मे भगवान श्रीराम के लोक मे जाते हैं और हरि भक्त कहलाते हैं ।

और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

अर्थात – आपकी भक्ति करने से भक्तों को सभी सुख प्राप्त होते हैं । उन्हे किसी और देवता की पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती । हे महाबली हनुमान जी ! जो भी आपका स्मरण करता है उसके सब संकट कट जाते हैं और सभी पीड़ायेँ मिट जाती हैं ।

जय जय जय हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहिं बन्दि महा सुख होई ॥

अर्थात – हे भगवान हनुमान, आपकी सदा जय हो, जय हो, जय हो । हे गुरुदेव आप मुझ पर कृपा करें । नित्य सौ बार चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम सुख को प्राप्त कर लेता है ।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥

अर्थात – जो भी यह हनुमान चालीसा पढ़ेगा, उसे अवश्य हीं सिद्धि की प्राप्ति होगी, इसके साक्षी गौरीपति शंकर जी हैं । हे मेरे नाथ हनुमान जी, तुलसीदास सदा हीं भगवान श्रीराम का दास है, इसलिए मेरे हृदय मे निवास कीजिये प्रभु ।

।। दोहा ।।

पवनतनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

अर्थात – हे पवनपुत्र ! आप संकट हरणे वाले और मंगलकारी मूरत वाले हैं । आप राम- लक्ष्मण एवं सीता सहित मेरे हृदय मे निवास करें ।

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हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

FAQ-हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

  1. हनुमान चालीसा किसने लिखी थी?
    • हनुमान चालीसा के लेखक तुलसीदास थे।
  2. हनुमान चालीसा कब लिखी गई थी?
    • हनुमान चालीसा को तुलसीदास ने 16वीं सदी में लिखा था, जब अवधी भाषा की पुनर्जीवनी हो रही थी।
  3. “हनुमान चालीसा” शब्द का क्या अर्थ है?
    • “हनुमान चालीसा” शब्द एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इसमें हनुमान की गुणगान की 40 चौपाईयाँ हैं।
  4. हनुमान चालीसा लिखने वाले कौन थे?
    • हनुमान चालीसा लिखने वाले का श्रेय तुलसीदास को जाता है।
  5. हनुमान चालीसा लिखी गई विशिष्ट समय या तारीख क्या थी?
    • हनुमान चालीसा को तुलसीदास ने 16वीं सदी में रचा था, लेकिन एक विशिष्ट तिथि का स्पष्ट रूप से निरूपण नहीं है।
  6. हनुमान चालीसा सीखने का कैसा तरीका है?
    • हनुमान चालीसा सीखने का तरीका उसे पढ़ने और याद करने में शामिल है। बहुत से लोग इसे सीखने के लिए लिखित पाठ, ऑडियो रिकॉर्डिंग, या ऑनलाइन स्रोत का उपयोग करते हैं।
  7. हनुमान चालीसा के निर्माता कौन हैं?
    • हनुमान चालीसा के निर्माता के रूप में तुलसीदास को स्वीकृत किया जाता है।
  8. हनुमान चालीसा पढ़ने की प्रक्रिया क्या है?
    • हनुमान चालीसा पढ़ने की प्रक्रिया में चौपाईयों को भक्ति भाव से पढ़ना और उनका अर्थ समझना शामिल है। बहुत से लोग इसे दैहिक पूजा और आराधना का हिस्सा बनाए रखने के लिए रोजाना पढ़ते हैं।
  9. हनुमान चालीसा को मूलतः किस भाषा में लिखा गया था?
    • हनुमान चालीसा को मूलतः अवधी भाषा में लिखा गया था।
  10. हनुमान जयंती 2024 कब है
    • गणना के अनुसार 2024 में हनुमान जयंती 23 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।
  11. क्या हनुमान जयंती पर स्कूलों में छुट्टी होती है?
    • सरकारी स्कूलों की आधिकारिक अवकाश तालिका 2024 में जानें और अपनी जानकारी को स्थानांतरित करें।”

हनुमान चालीसा हिंदी में अर्थ सहित-Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi Pdf

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