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संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

“संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi” एक हिंदी में हनुमान जी की आरती है जिसे भक्ति और सुरक्षा की अनमोल वाणी के रूप में जाना जाता है। यह लिरिक्स हनुमान चालीसा की तरह ही हनुमान जी की महिमा को बयान करते हैं और उनकी पूजा-अराधना में भक्तों को मार्गदर्शन करते हैं।

संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi
संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

हनुमान जी की आरती Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics PDF

संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ lyrics

बाल समय रवि भक्षि लियो, तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।1।

देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।2।

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारौ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार विचारो ।3।

कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।4।

अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस ये बैन उचारो।
जीवत ना बचिहों हमसों, जु बिना सुधि लाये यहां पगुधारो ।5।

हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया, सुधि प्राण उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।6।

रावन त्रास दई सिय की, सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ।7।

चाहत सीय अशोक सों आगि, सो दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।8।

बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्रान तजे सुत रावन मारो।
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो ।9।

आन संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।10।

रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारौ।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयौ यह संकट भारो ।11।

आनि खगेश तबै हनुमान जी, बन्धन काटि सो त्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।12।

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सों, बलि देहुं सबै मिलि मंत्र विचारो ।13।

जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।14।

काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसौं नहिं जात है टारो ।15।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में, कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।16।

संकटमोचन हनुमान अष्टक दोहा:
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दनव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

हनुमान जी की आरती || Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics PDF || हनुमान आरती इन हिंदी PDF || संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi
संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

Sankat Mochan Hanuman Ashtak Meaning in Hindi
संकट मोचन हनुमान अष्टक पाठ का अर्थ –


बाल समय रवि भक्षि लियो तब,

तिनहुं लोक भयो अंधियारो ।

ताहि सो त्रास भयो जग मे,

यह संकट काहु से जात न टारो॥

देवन आनि करी विनती तब,

छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥१॥

अर्थात- हे बजरंगबलि हनुमान जी ! बचपन मे आपने सूर्य को लाल फल समझकर निगल लिया था, जिससे तीनों लोकों में अंधेरा हो गया था। इससे सारे संसार में घोर विपत्ति छा गई थी । लेकिन इस संकट को कोई भी दूर न कर सका। जब सभी देवताओं ने आकर आपसे विनती की तब आपने सूर्य को अपने मुंह से बाहर निकाला और इस प्रकार सारे संसार का कष्ट दूर हुआ। हे वानर-रूपी हनुमान जी, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आप हीं को सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

बालि की त्रास कपीस बसै,

गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि शाप दियो तब,

चाहिए कौन विचार बिचारो॥

कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के शोक निवारो।

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥२॥

अर्थात- अपने बड़े भाई बालि के डर से महाराज सुग्रीव किष्किंधा पर्वत पर रहते थें । जब महाप्रभु श्री राम लक्ष्मण के साथ वहाँ से जा रहे थे तब सुग्रीव ने आपको उनका पता लगाने के लिये भेजा । आपने ब्राह्मण का भेष बनाकर भगवान श्री राम से भेंट की और उनको अपने साथ ले आए, जिससे आपने महाराज सुग्रीव को कष्टों से बाहर निकाल कर उनका दुख दूर किया। हे बजरंगबली, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

अंगद के संग लेन गये सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौं हम सों जु,

बिन सुध लाए इहां पगुधारो ॥

हेरि थके तट सिन्धु सबै तब,

लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥३॥

अर्थात- महाराज सुग्रीव ने सीता माता की खोज के लिये अंगद के साथ वानरों को भेजते समय यह कह दिया था की यदि सीता माता का पता लगाए बिना यहाँ लौटे तो सबको मार दिया जाएगा। सब ढूँढ-ढूँढ कर निराश हो गये तब आप विशाल सागर को लाँघकर लंका गये और सीताजी का पता लगाया, जिससे सब के प्राण बच गये। हे बजरंगबली, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

रावन त्रास दई सिय को तब,

राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाय महा रजनीचर मारो ।

चाहत सीय अशोक सों आगि सु,

दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ॥

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥४॥

अर्थात- अशोक वाटिका मे रावण ने सीताजी को कष्ट दिया, भय दिखाया और सभी राक्षसियों से कहा कि वे सीताजी को मनाएं, तब उसी समय आपने वहाँ पहुँचकर राक्षसों को मारा । जब सीता माता ने स्वयं को जलाकर भस्म करने के लिए अशोक वृक्ष से अग्नि कि विनती की, तभी आपने अशोक वृक्ष के ऊपर से भगवान श्रीराम की अंगूठी उनकी गोद मे डाल दी जिससे सीता मैया शोकमुक्त हुईं । हे बजरंगबली, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

बाण लग्यो उर लछिमन के तब,

प्रान तज्यो सुत रावन मारो ।

लै गृह वैध्य सुषेण समेत,

तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो ॥

आनि सजीवन हाथ दई तब,

लछिमन के तुम प्राण उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥५॥

अर्थात- लक्ष्मण की छाती मे बाण मारकर जब मेघनाथ ने उन्हे मूर्छित कर दिया। उनके प्राण संकट में पर गये । तब आप वैध्य सुषेण को घर सहित उठा लाये और द्रोण पर्वत सहित संजीवनी बूटी लेकर आए जिससे लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा हुई। हे महावीर हनुमान जी, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

रावन जुद्ध अजान कियो तब,

नाग की फांस सबै सिर डारो ।

श्री रघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बन्धन काटि सुत्रास निवारो ॥

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥६॥

अर्थात- रावण ने भीषण युद्ध करते हुए भगवान श्रीराम और लक्ष्मण सहित सभी योद्धाओं को नाग पाश में जकड़ लिया । तब श्रीराम सहित समस्त वानर सेना संकट मे घिर गई, तब आपने हीं गरुड़देव को लाकर सबों को नागपाश से मुक्त कराया। हे महावीर हनुमान जी, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

बन्धु समेत जबै अहिरावण,

लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।

देवहिं पूजि भली विधि सों,

बलि देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।

जाय सहाय भये तब ही,

अहिरावण सैन्य समेत संहारो ॥

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥७॥

अर्थात- जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को उठाकर अपने साथ पाताल लोक मे ले गया, उसने भली-भांति देवी की पूजा कर सबसे सलाह करके यह निश्चय किया की इन दोनों भाइयों की बलि दूँगा, उसी समय आपने वहाँ पहुँचकर भगवान श्रीराम की सहायता करके अहिरावण का उसकी सेना सहित संहार कर दिया। हे बजरंगबली हनुमान जी, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

काज किये बड़ देवन के तुम,

वीर महाप्रभु देखि विचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसो नहिं जात है टारो ।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होय हमारो ॥

को नहिं जानत है जग में कपि,

संकट मोचन नाम तिहारो ॥८॥

अर्थात- हे वीरों के वीर महाप्रभु आपने देवताओं के तो बड़े-बड़े कार्य किये हैं । अब आप मेरी तरफ देखिए और विचार कीजिए कि मुझ गरीब पर ऐसा कौन सा संकट आ गया है जिसका निवारण नहीं कर पा रहें है । हे महाप्रभु हनुमान जी, मेरे ऊपर जो भी संकट आया है उसे कृपा कर दूर करें । हे बजरंगबली, इस संसार मे ऐसा कौन है जो यह नहीं जानता है की आपको हीं सभी संकटों का नाश करने वाला कहा जाता है।

FAQ-संकट मोचन हनुमान लिरिक्स | Sankat Mochan Lyrics in Hindi

“हनुमान अष्टक क्या है? (What is Hanuman Ashtak in hindi)?

हनुमान अष्टक हिंदी में एक प्रमुख भक्तिग्रंथ है जो हनुमान जी की महिमा और उनकी शक्तियों की महत्वपूर्ण कहानियों पर आधारित है। इसे पठने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि हम इस ग्रंथ की सार्थक अर्थशास्त्र को समझें और इसकी रचना और पूर्णता की बातें जानें।
बचपन में हनुमान जी द्वारा किए गए अनेक लीलाओं के साथ, इस अष्टक में हम उनकी शक्तियों और भक्ति की गहराईयों में प्रवेश करते हैं। ऋषि के श्राप के बाद हनुमान जी ने कैसे अपनी शक्तियों को भूला और फिर से उन्हें प्राप्त किया, इसे बताया जाता है।
यह अष्टक भक्तों को हनुमान जी की पूजा-अराधना में मार्गदर्शन करता है और उनके अनुयायियों को उनके दिव्य स्वरूप की प्राप्ति में सहायक होता है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक की रचना किसने की?
(Sankatmochan Hanuman Ashtak ki rachna kisne ki in hindi)

संकट मोचन हनुमान अष्टक की रचना पंडित गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। इसमें 8 पद है इसलिए इसे संकट मोचन हनुमान अष्टक के नाम से जाना जाता है।

संकट मोचन हनुमान अष्टक के फायदे
(Sankatmochan Hanuman Ashtak k fayde in hindi)

हनुमान जी के पाठ का प्रभाव वास्तविकता में कई रूपों में अनुभव किया जा सकता है और यह विशेष रूप से मानव जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:
आत्मविश्वास और मनोबल का वृद्धि: हनुमान जी के पाठ से व्यक्ति का आत्मविश्वास और मनोबल मजबूत होता है। यह उसे सभी कठिनाइयों और संघर्षों के लिए तैयार बनाता है।
संकटों से मुक्ति: हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को संकटों और दुःखों से मुक्ति मिलती है। यह भक्ति और आत्मा को उच्चतम शक्ति से जोड़ने में मदद करता है।
घर में सुख और शांति: हनुमान जी के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जिससे वहां सुख और शांति का वातावरण बना रहता है।
कष्टों का निवारण: हनुमान जी विशेष रूप से कष्टों और दुःखों के निवारण के लिए पूजे जाते हैं, इसलिए उनके पाठ से व्यक्ति को इन कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इन लाभों के अलावा भी अन्य आनंददायक प्रभाव हो सकते हैं, जो भक्त व्यक्ति को अपने जीवन में महसूस होते हैं।

हनुमान अष्टक पाठ की पूजन विधि
( Hanuman Ashtak path ki poojan vidhi in hindi)

हनुमान अष्टक का पाठ करने की विधि बहुत ही साधारित है, और यहां एक आम तरीका दिया जा रहा है:
स्नान: स्नान के बाद शुद्ध और शांत मन से हनुमान अष्टक का पाठ करने के लिए तैयार हो जाइए।
आसन स्थापना: हनुमान अष्टक का पाठ करते समय एक स्थिर और शुद्ध आसन पर बैठें। हनुमान जी और श्रीराम जी के चित्र को आपके सामने रखें, या जो आपके पूजा स्थल पर हैं।
स्मरण और समर्पण: पाठ शुरू करने से पहले राम नाम का स्मरण करें और फिर हनुमान अष्टक का पाठ करें। इसके दौरान मन से हनुमान जी के चरित्र को स्मरण करें और उन्हें अपने जीवन में समर्पित करें।
पूजा अर्पण: हनुमान अष्टक के पाठ के बाद, हनुमान जी को घी या चमेली के तेल के दीपक, लाल पुष्प, और गुड़ चना या बेसन के लड्डू के साथ पूजा अर्पित करें।
नियमितता: हनुमान अष्टक का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिणाम होते हैं। यदि संभावना हो, तो इसे नियमित रूप से करना शुभ रहता है, जैसे हर मंगलवार को।
इन साधारित स्थितियों में, हनुमान अष्टक का पाठ श्रद्धाभाव से करने से आत्मा को शांति, उत्साह, और आत्मविकास का अनुभव हो सकता है।

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