Brihaspati Dev Chalisa: बृहस्पति चालीसा, जानें महत्व और लाभ। भगवान बृहस्पति को समर्पित यह चालीसा आपके जीवन में बुद्धि, ज्ञान, और आध्यात्मिक उन्नति में सहारा प्रदान कर सकती है। पढ़ें और अपनी जीवनशैली में सुधार करें, गुरुदेव की कृपा प्राप्त करें और समृद्धि की ओर एक कदम बढ़ाएं।
Table of Contents
विषय | जानकारी |
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नाम | श्री बृहस्पति देव |
अन्य नाम | गुरु, बृहस्पति, गुरु बृहस्पति, ब्राह्मस्पति, देवगुरु |
वाहन | हाथी |
ग्रह | बृहस्पति (Jupiter) |
पति | तारा (तारादेवी या बृहस्पतिनी के रूप में) |
वास्तविक रूप | गोल आकृति में व्यक्ति, पीत वस्त्र, चार हाथ, एक हंस के साथ |
आराधना विधि | बृहस्पतिवार को गुरुवार के रूप में, यानी बृहस्पति की पूजा विशेष रूप से बृहस्पतिवार को की जाती है |
धरोहर | यहां कुछ पुराणों और शास्त्रों में बताए गए अनुसार, गुरु बृहस्पति सभी ग्रहों के प्रभु के रूप में माने जाते हैं। |
महत्वपूर्ण मंत्र | “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” (Om Gram Greem Graum Sah Gurave Namah) |

बृहस्पति चालीसा पाठ के लाभ
बृहस्पति चालीसा एक हिन्दी भक्तिग्रंथ है जो भगवान बृहस्पति को समर्पित है। यह चालीसा उन व्रतों और पूजाओं में प्रयुक्त होती है जो बृहस्पतिवार, जिसे गुरुवार के नाम से भी जाना जाता है, के दिन की जाती है। इस चालीसा को पढ़ने और सुनने से कई लोग मानते हैं कि उन्हें आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
बृहस्पति ग्रह हिन्दू ज्योतिष में गुरु ग्रह के रूप में जाना जाता है और इसे ज्ञान, शिक्षा, बुद्धि, ब्रह्मा की प्रतिष्ठा, और धर्म का प्रतीक माना जाता है। बृहस्पति चालीसा का पाठ करने से भक्त गुरुदेव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं और उनसे जीवन में उत्कृष्टता और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
यहां कुछ बृहस्पति चालीसा के पठन के लाभ दिए जा रहे हैं:
- बुद्धि और ज्ञान में सुधार: बृहस्पति चालीसा का पठन करने से भक्त को बुद्धि, ज्ञान, और विद्या में सुधार हो सकता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: इस चालीसा का पठन करने से भक्त अध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति में सहारा पा सकता है।
- गुरुदेव की कृपा प्राप्ति: चालीसा का पठन करने से भक्त गुरुदेव की कृपा प्राप्त कर सकता है जो उन्हें जीवन में मार्गदर्शन करें और समस्त कठिनाईयों से उन्हें बचाएं।
- जीवन की समृद्धि: बृहस्पति चालीसा का पठन करने से भक्त को जीवन में समृद्धि और सुख-शांति मिल सकती है।
- गुरु भक्ति में सुधार: चालीसा का पठन करके भक्त गुरु भक्ति में भी सुधार कर सकता है और गुरुदेव के प्रति अधिक श्रद्धाभाव विकसित कर सकता है।
बृहस्पति चालीसा को नियमित रूप से पठन करने से ये लाभ हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि भक्ति में आदर्शता और विश्वास के साथ किया जाने वाला पूजन ही सबसे महत्वपूर्ण है।
Brihaspati Dev Chalisa in Hindi: बृहस्पति चालीसा
श्री बृहस्पति देव चालीसा
दोहा
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।
श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥
चौपाई
जय नारायण जय निखिलेशवर। विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।भारत भू के प्रेम प्रेनता॥
जब जब हुई धरम की हानि। सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे। सिद्धाश्रम से आप पधारे॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा। ओय करन धरम की रक्षा॥
अबकी बार आपकी बारी। त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा। मुल्तानचंद पिता कर नामा॥
शेषशायी सपने में आये। माता को दर्शन दिखलाए॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक। जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की। पूजा करते आराधक की॥
जन्म वृतन्त सुनायए नवीना। मंत्र नारायण नाम करि दीना॥
नाम नारायण भव भय हारी। सिद्ध योगी मानव तन धारी॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित। आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥
एक बार संग सखा भवन में। करि स्नान लगे चिन्तन में॥
चिन्तन करत समाधि लागी। सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥
पूर्ण करि संसार की रीती। शंकर जैसे बने गृहस्थी॥
अदभुत संगम प्रभु माया का। अवलोकन है विधि छाया का॥
युग-युग से भव बंधन रीती। जंहा नारायण वाही भगवती॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी। तब हिमगिरी गमन की ठानी॥
अठारह वर्ष हिमालय घूमे। सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन। करम भूमि आए नारायण॥
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी। जय गुरुदेव साधना पूंजी॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा। कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा। भारत का भौतिक उजियारा॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता। सीधी साधक विश्व विजेता॥
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता। भूत-भविष्य के आप विधाता॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर। षोडश कला युक्त परमेश्वर॥
रतन पारखी विघन हरंता। सन्यासी अनन्यतम संता॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया। पारद का शिवलिंग बनाया॥
वेद पुराण शास्त्र सब गाते। पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥
पूजा कर नित ध्यान लगावे। वो नर सिद्धाश्रम में जावे॥
चारो वेद कंठ में धारे। पूजनीय जन-जन के प्यारे॥
चिन्तन करत मंत्र जब गाएं। विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं॥
मंत्र नमो नारायण सांचा। ध्यानत भागत भूत-पिशाचा॥
प्रातः कल करहि निखिलायन। मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन॥
निर्मल मन से जो भी ध्यावे। रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे॥
पथ करही नित जो चालीसा। शांति प्रदान करहि योगिसा॥
अष्टोत्तर शत पाठ करत जो। सर्व सिद्धिया पावत जन सो॥
श्री गुरु चरण की धारा। सिद्धाश्रम साधक परिवारा॥
जय-जय-जय आनंद के स्वामी। बारम्बार नमामी नमामी॥
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“Brihaspati Dev” ज्योतिष और हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रह और देवता हैं। इसका सीधा संबंध वार्षिक सप्ताह के दिन गुरुवार दिन के साथ होता है, जिसे हिन्दी में “बृहस्पतिवार” कहा जाता है। यह सप्ताह का पंचवा दिन है और इसे गुरुवार का नाम देने का कारण बृहस्पति ग्रह के आदि गुरु, या गुरु बृहस्पति, के पूजन के लिए रखा गया है।
बृहस्पति का संस्कृत में “बृहत्” और “पति” से निर्मित है, जिसका अर्थ होता है “बड़ा पति” या “बड़ा आदर्श पति”। इस ग्रह को गुरु भी कहा जाता है और इसकी पूजा से बुद्धि, ज्ञान, धर्म, और विद्या में वृद्धि होती है, जो भक्त को जीवन में मार्गदर्शन करने में सहायक होती हैं।
इस प्रकार, बृहस्पति देव के साथ गुरुवार का संबंध है और इस दिन को उनके नाम से जाना जाता है, जिससे लोग उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।