महा शिवरात्रि (Mahashivratri Kab Hai 2024), भारतीय हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान शिव की आराधना और पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार हर वर्ष फाल्गुण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। महा शिवरात्रि का अर्थ है ‘भगवान शिव की महत्वपूर्ण रात’।
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महा शिवरात्रि कब है (Mahashivratri Kab Hai 2024) शुभ मुहूर्त,व्रत नियम,कथा व महत्व
महा शिवरात्रि कब है 2024? (Maha Shivratri Kab Hai 2024)
Here is the date of Maha Shivaratri Pooja 2024 :
Name of Festivals | Day | Date of Festivals |
---|---|---|
Maha Shivaratri | Thursday | 20 February 2031 |
महाशिवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त Maha Shivaratri Timing :
महा शिवरात्रि पूजन शुभ मुहूर्त 2024 (Maha Shivratri Pujan Shubh Muhurat 2024)
प्रथम प्रहर की पूजा – 6:25 PM से 9:28 PM तक (8 मा र्च 2024)
द्वितीय प्रहर की पूजा – 9:28 PM (8 मा र्च 2024) से 12:31 AM तक ( 9 मा र्च 2024)
तीसरे प्रहर की पूजा – 12:31 AM से 3:34 AM तक (9 मा र्च 2024)
चतुर्थप्रहर की पूजा – 3:3 AM से 6:37 AM तक (9 मा र्च 2024)
पारण समय – 06:38 से 15:30 तक (9 मा र्च 2024)
महा शिवरात्रि महत्व और उद्दीपन
महा शिवरात्रि का महत्व अत्यधिक है, इसे भगवान शिव के विशेष रूप, भोलेनाथ, के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है। इस दिन भक्त शिव जी की पूजा करते हैं और उन्हें बिल्कुल भीले मानव की तरह सहज और सुखी स्वभाव में पूजते हैं। महा शिवरात्रि के दिन विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भरमार होती है, जो रात भर जागरूक रहते हैं और शिव जी की आराधना करते हैं।
महा शिवरात्रि की विशेषता
महा शिवरात्रि की रात्रि को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात्रि में भगवान शिव का तांडव नृत्य रचते हैं और भक्तों को अपने अद्वितीय रूप में दिखाते हैं। लोग ज्यों ही शिव मंदिरों में आराधना के लिए पहुंचते हैं, वहां ध्यान और पूजा के माध्यम से अपने मन को शिव की ओर ले जाते हैं।
महा शिवरात्रि व्रत और उपासना
महा शिवरात्रि के दिन भक्त विशेष व्रत और उपासना का पालन करते हैं। यह एक दिन का उपवास भी हो सकता है, जिसमें भक्त अन्न, फल, और शाकाहारी त्याग करते हैं। व्रत का पूरा होने पर रात्रि के समय शिव मंदिर में जागरूकता का आयोजन किया जाता है, जहां भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और महत्वपूर्ण पूजा-अर्चना का हिस्सा बनते हैं।
महा शिवरात्रि सांस्कृतिक महत्व
महा शिवरात्रि भारतीय सांस्कृतिक के अद्वितीय हिस्से का हिस्सा है और इसे विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में मनाना गया है। इस दिन लोग शिव की आराधना में लगे रहते हैं और आत्मा के साथ एकता में पहुंचने का प्रयास करते हैं।
महा शिवरात्रि के इस अद्वितीय त्योहार से जुड़े विभिन्न कारणों से इसे भारत और अन्य हिन्दू समुदायों में बड़े हर्ष और आनंद के साथ मनाया जाता है।
महा शिवरात्रि पूजा विधि (Maha Shivratri Puja Vidhi)
महा शिवरात्रि पूजा विधि को समर्पित करना भगवान शिव के प्रति भक्ति और आध्यात्मिकता की ऊँचाईयों को प्राप्त करने का एक अद्वितीय और धार्मिक तरीका है। यहां महा शिवरात्रि पूजा का विधान दिया गया है:
सामग्री:
- शिवलिंग: पूजा के लिए एक सुंदर और पवित्र शिवलिंग।
- बेल पत्र: शिवजी को चढ़ाने के लिए।
- धूप और दीप: आरती के लिए।
- चंदन और कुमकुम: शिवलिंग पर लगाने के लिए।
- फल: भोजन के लिए प्रसाद के रूप में।
- गंगाजल और दूध: स्नान के लिए।
- मिश्रित फल और नट्स: भोग के रूप में।
- कलश और नारियल: पूजा के लिए।
- रोली, अक्षता, और मौली: पूजा के विभिन्न अंगों के लिए।
पूजा विधि:
- स्नान: पहले, शिवलिंग को गंगाजल या दूध से स्नान कराएं।
- वस्त्र धारण: शिवलिंग को साफ करके उसे श्वेत वस्त्र से ढंकें।
- रूद्राक्ष माला: रूद्राक्ष माला को लेकर शिवजी की महिमा का जप करें।
- बेल पत्र: बेल पत्र से शिवजी को चढ़ाएं, इसके साथ मन्त्रों का जप करें।
- धूप-दीप: शिवलिंग को धूप और दीप से आराती दें, आरती गाएं।
- प्रसाद: फल, मिश्रित फल, और नट्स से बना प्रसाद शिवजी को चढ़ाएं।
- कलश पूजा: कलश में गंगाजल, दूध, और जल भरकर, उसे पूजा के लिए तैयार करें।
- मौली बंधन: कलश को मौली से बाँधें और उसे शिवलिंग के पास स्थानित करें।
- मंत्र जप: महा मृत्युंजय मंत्र या शिव मंत्र का जप करें।
- आरती और संकीर्तन: आरती गाएं और भक्ति भाव से संकीर्तन करें।
- पूजा समाप्ति: शिवजी को विशेष मन्त्र के साथ पूजा समाप्त करें और प्रसाद बाँटें।
इस पूजा विधि का पालन करते हुए भक्त भगवान शिव की कृपा, आशीर्वाद, और आत्मिक समृद्धि की कामना करते हैं।
क्या महा शिवरात्रि राष्ट्रीय अवकाश है?
महा शिवरात्रि का अवकाश भारत में विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न तरीके से मनाया जाता है। इसे हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
बहुत से राज्यों और क्षेत्रों में महा शिवरात्रि को स्थानीय अवकाश के रूप में घोषित किया जाता है, ताकि लोग इस धार्मिक त्योहार को पूरी श्रद्धाभाव से मना सकें और विशेष पूजा-अर्चना कर सकें।
इस अवकाश के दौरान लोग मंदिरों में भी जाते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। उन्हें भक्तों के बीच विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने का अवसर मिलता है।
यहां दो तिथियां अवकाश के रूप में दिख सकती हैं:
- फाल्गुण मास की चतुर्दशी (Maha Shivratri): इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया जा सकता है।
- महा शिवरात्रि के दिन: कुछ स्थानों में, यह दिन भी अवकाश के रूप में मनाया जा सकता है।
इसके अलावा, अधिकांश लोग अपने अवकाश का उपयोग महा शिवरात्रि को ध्यान, तपस्या, और पूजा-अर्चना में समर्पित करने में करते हैं, जिससे उन्हें आत्मा की शांति और आध्यात्मिक सामर्थ्य का अनुभव होता है।
महाशिवरात्रि के उपलक्ष में कल सभी परिषदीय विद्यालयों में छात्रों को होगा अवकाश, जिससे उन्हें अपने पारंपरिक और आध्यात्मिक संस्कृति को समझने और मान्यता देने का सुनहरा अवसर मिलेगा। इस अवकाश के दौरान, छात्र अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा और साधना में लगे रह सकते हैं। परिषदीय विद्यालयों की अवकाश तालिका वर्ष 2024 देखें