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संतोषी माता की चालीसा-Santoshi Mata Chalisa in Hindi Pdf

अपने आत्मा को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए संतोषी माता की चालीसा हिंदी में (Santoshi Mata Chalisa in Hindi)। इस आध्यात्मिक हिम्मत का सांग पूजनीय देवी की शक्ति को महसूस करें। हिंदी में चालीसा के सुंदर शब्दों में डूबकी लगाएं और अपने आत्मिक सफलता की ओर एक कदम बढ़ाएं। संतोषी माता की भक्ति में रूचि रखने वालों के लिए एक समृद्धि स्रोत में हमारे साथ जुड़ें।

प्रमुख जानकारीविवरण
देवी का नामसंतोषी माँ
पूजा का स्थानमंदिर और पूजा घर
पूजा का समयव्रत रखा जाता है, प्रतिवार पूजा भी की जाती है
पर्व और उत्सवसंतोषी जयंती, व्रत की तिथियां
शक्तियाँ और आराध्यतासंतोषी माँ को संतुलित जीवन की देवी माना जाता है
महत्वपूर्ण मंत्र“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं संतोषी देव्यै नमः”
पौराणिक कथासंतोषी माँ की कथा विभिन्न पुराणों में मिलती है
पूजा उपकरणकुमकुम, चन्दन, फल, पुष्प, नैवेद्य, धूप
व्रत और उपासनाशुक्रवार को खीर और गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है
आशीर्वाद और महिमाभक्तों को संतोष, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है

॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥

॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥

सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥

श्‍वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥

दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥

जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥

अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥

नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता ॥

तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥

धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥

विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥

कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥

सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥

ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥

नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥

मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥

राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥

पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्‍व तेरा यश गाता ॥

काशी पुराधीश्‍वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥

सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥

तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥

जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।

इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥

जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥

दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥

जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥

जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥

कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥

शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥

गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥

विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥

शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥

वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥

जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्‍चय भव से तर जावे ॥

तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥

सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥

विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥

जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥

हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥

निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥

यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥

संतोषी माता मंत्र हिंदी में । Santoshi Mata Mantra in Hindi

“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं, महासंतोषी देव्यै नमः॥

संतोषी माता मंत्र का विवरण: इस मंत्र का जाप संतोषी माँ की कृपा को प्राप्त करने के लिए किया जाता है, विशेषकर कार्तिक मास के प्रथम शुक्ल पक्ष के सोमवार को। इस मुहूर्त में, अपने पूजा घर को साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को सजाएं। रंगोली से सजीव पूजा स्थल पर माता संतोषी की प्रतिमा स्थापित करें।

इसके बाद, माता की पूजा करें और माला का उपयोग करके मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र के पाठ के बाद, माता की आरती उत्सव से आच्छादित करें और प्रसाद को समर्पित करें।

इस मान्यता का अनुसरण करने से माना जाता है कि संतोषी माता मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक और भौतिक सुख में वृद्धि होती है। यह मंत्र जीवन में संतोष, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति का माध्यम है, और माता संतोषी की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, जीवन सुखमय बनता है।”

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