“Shiv Chalisa Lyrics in Hindi-श्री शिव चालीसा:- भगवान शिव के भक्ति भाव से भरे इस पवित्र चालीसा को गुणगान करें। शिव चालीसा के बोलों के साथ अनुभव करें और भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद का आनंद लें। यहां पाएं शिव चालीसा के सुंदर शब्द और उनका महत्वपूर्ण अर्थ।”
Table of Contents
Attribute | Information |
---|---|
नाम-Name | भगवान शिव (Lord Shiva) |
पत्नी-Wife | पार्वती (Parvati) |
पुत्र-Son | गणेश (Ganesha), कार्तिकेय (Kartikeya) |
प्रतीक-Symbol | त्रिशूल (Trishul), दमरू (Damru) |
वाहन-Vehicle | नंदी (Nandi – the bull) |
आवास-Abode | कैलास पर्वत (Mount Kailash) |
उपनाम -Attributes | भूतनाथ (Lord of beings), आदिदेव (Primordial God) |
शृंगार-Adornments | चंदन (Sandalwood paste), रुद्राक्ष (Rudraksha beads) |
मंत्र-Mantra | ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya) |
भयंकर स्वरूप-Fierce Form | महाकाल (Mahakal), रुद्र (Rudra) |
संहार स्वरूप-Destroyer Aspect | रुद्र (The Destructor) |
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi-श्री शिव चालीसा
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
शिव फोटो Shiv Image
शिव चालीसा के फायदे
“शिव चालीसा के फायदे” समर्थन बहुत बाधित और अर्थपूर्ण हो सकते हैं। यह भक्ति और ध्यान का माध्यम है जिसमें भगवान शिव की महिमा, कृपा, और आशीर्वाद की स्तुति होती है। इसमें कुछ प्रमुख फायदे शामिल हो सकते हैं:
- आत्मिक शांति: शिव चालीसा का पाठ करने से मानव आत्मा में शांति और सुकून का अनुभव कर सकता है, जो उसे आत्मा की ऊँचाई की ओर ले जाता है।
- भक्ति और समर्पण: इस चालीसा के माध्यम से भक्त अपने मन, वचन, और क्रिया को भगवान शिव के समर्पित करता है, जिससे उसमें भक्ति और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है।
- आशीर्वाद और सुरक्षा: शिव चालीसा का पाठ करने से भक्त को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव हो सकता है, जिससे उसे जीवन की मुश्किलें साहसपूर्वक निभाने में मदद मिलती है।
- मानवता और सामाजिक उत्थान: भक्ति और साधना के माध्यम से, शिव चालीसा व्यक्ति को मानवता और सामाजिक उत्थान की दिशा में प्रेरित कर सकती है, उसे अच्छे गुणों की प्राप्ति में मदद करती है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: ध्यान और मन्त्र जप के माध्यम से, शिव चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
- संतुलन और संयम: शिव चालीसा के अध्ययन से व्यक्ति में संतुलन और संयम की भावना बढ़ सकती है, जिससे उसे अपने जीवन को सही दिशा में लेने में मदद मिलती है।
ये फायदे भिन्न भिन्न लोगों के अनुभवों पर आधारित हैं और इन्हें व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है।
शिव चालीसा के नियम
“शिव चालीसा” का पाठ करते समय नियमों का पालन करना ध्यान, श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। नियमों का पालन करने से भक्ति में लगाव बढ़ता है और शिव चालीसा के प्रति विशेष समर्पण में साहाय्य मिलता है। यहां कुछ सामान्य नियम हैं जो शिव चालीसा के पाठ के दौरान अनुसरण किए जा सकते हैं:
- शुद्धि और स्नान: शिव चालीसा का पाठ करने से पहले, शुद्धि के लिए हाथ धोना और एक शुद्ध स्थान पर बैठना अच्छा है।
- नियमितता: शिव चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने का प्रयास करें, या नियमित इंतरवल में इसे सुनने का समय निकालें।
- श्रद्धा और भक्ति: शिव चालीसा का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, भगवान शिव के प्रति अद्भुत प्रेम और समर्पण के साथ।
- मन से चालीसा का पाठ: शिव चालीसा का पाठ करते समय मन को पूरी तरह से इसमें लगा दें, अन्य किसी चिंता या काम से बाहर रखें।
- ध्यान और मेधा बढ़ाने के लिए: चालीसा का पाठ करते समय ध्यान और मेधा बढ़ाने के लिए चित्र या मूर्ति का ध्यान करें और मन्त्र की सार्थकता को समझने का प्रयास करें।
- अर्पण: चालीसा का पाठ करने के बाद अपनी पूर्वभावना से भगवान शिव को अर्पित करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का आग्रह करें।
- अच्छी उच्चारण: चालीसा के शब्दों का सही उच्चारण सुनिश्चित करें ताकि उनका सही अर्थ समझा जा सके और मन भगवान की ओर ध्यानित रहे।
ये नियम शिव चालीसा के पाठ को और भी प्रभावी बना सकते हैं और भक्ति में गहराई ला सकते हैं।