श्री सूर्य चालीसा (Surya Chalisa Lyrics in Hindi pdf): अपने भगवान सूर्य की आराधना को समर्पित करें और उनके श्री सूर्य चालीसा के शब्दों का आनंद लें। हिंदी पीडीएफ में सूर्य चालीसा के लिरिक्स को प्राप्त करें और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाएं।
पहलु | जानकारी |
---|---|
नाम | भगवान सूर्य |
रंग | सोना |
प्रतीक | सात घोड़ों द्वारा चलाई जाने वाली रथ |
पतिव्रता | उषा, छाया |
वाहन (वाहन) | सात घोड़ों वाली रथ (सप्त अश्व रथ) |
प्रमुख दिन | रविवार |
मंत्र | ॐ सूर्याय नम: । ॐ घृणि सूर्याय नम: । ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। |
महत्व | सूर्य देव, जीवन शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक |
गुण | कमल को पकड़ा हुआ, आकाश के रथ का सारथी |
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श्री सूर्य चालीसा (Surya Chalisa Lyrics in Hindi pdf)
दोहा:
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥
चौपाई:
जय सविता जय जयति दिवाकर।
सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर।
सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी।
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर।
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह।
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते।
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वास करहु नित।
भास्कर करत सदा मुख कौ हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।
तिग्मतेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारण।
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।
कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी।
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै।
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं।
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं॥
दरिद्र कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।
योजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता।
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गण ग्रसि न मिटावत जाही।
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुतजग में जाके।
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी।
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता।
कार्तिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।
पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥
दोहा:
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
॥ इति श्री सूर्य चालीसा ॥
श्री सूर्य देव चालीसा हिन्दी सहित – Surya Chalisa Meaning in Hindi
दोहा
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
अर्थ – सूर्य भगवान का रूप सोने से भरा हुआ है, उनके कानों में मकर के कुंडल चमक रहे हैं, और उनकी गर्दन में मोतियों से बनी माला उनके श्रेष्ठ शरीर को सजाती है। सूर्य भगवान का ध्यान करने के लिए पद्मासन में आसीन होकर, उनके साथ शंख और चक्र का संबंध बनाए रखना चाहिए।”
श्री सूर्य देव भगवान जी की पूजा विधि
श्री सूर्य देव भगवान की पूजा को सच्चे मन से और भक्ति भाव से किया जाता है। निम्नलिखित है एक सामान्य सूर्य देव की पूजा विधि:
सूर्य देव की पूजा के लिए सामग्री:
- सूर्य देव की मूर्ति या चित्र
- सूर्य देव के लिए रंगीन वस्त्र (पीला या लाल)
- सूर्य देव के लिए सुपारी, नारियल, फल, और फूल
- पूजा के लिए कलश, रोली, चावल, कुमकुम, गंध, और दीपक
- गायत्री मंत्र का जप करने के लिए माला
- अगर संभावना हो, तो सूर्य देव का व्रत रखने के लिए व्रत सामग्री
पूजा की विधि:
- स्नान: पूजा के लिए पहले स्नान करें और शुद्धि बनाएं।
- पूजा स्थल की सजावट: सूर्य देव की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसे सुंदरता से सजाएं।
- कलश स्थापना: पूजा का आरंभ करने के लिए कलश स्थापित करें और उसमें पानी डालें।
- पूजा का आरंभ: सूर्य देव की मूर्ति को देखकर अपने मन को शांति दें और उन्हें पूजना आरंभ करें। गायत्री मंत्र का जप करें और उन्हें अर्घ्य दें।
- फल, फूल, और नैवेद्य: सूर्य देव को फल, फूल, और नैवेद्य अर्पित करें।
- आरती: सूर्य देव को आरती दें और उनका ध्यान लगाएं।
- प्रार्थना और व्रत: अगर संभावना हो, तो सूर्य देव के व्रत का आरंभ करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
- व्रत समाप्ति: व्रत के अनुसार, सूर्य देव की पूजा को समाप्त करें और उनका प्रसाद स्वीकार करें।
ध्यान रहे कि श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करना सबसे महत्वपूर्ण है।
FAQ-भगवान सूर्य
1. सूर्य देव कौन हैं?
- भगवान सूर्य, हिन्दू धर्म में सूर्य देवता हैं जो दिन का देवता होते हैं और जीवन को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
2. सूर्य देव की पूजा क्यों की जाती है?
- सूर्य देव की पूजा का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा, स्वास्थ्य, और जीवन की सुरक्षा हेतु होता है। उन्हें सर्वोत्तम तात्पर्य में पूजा जाता है।
3. सूर्य देव के कौन-कौन से अवतार हैं?
- हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव के कई अवतार हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं सूर्य की अष्टम अवतार, भगवान श्रीकृष्ण।
4. सूर्य देव के क्या प्रमुख पूजनीय रूप हैं?
- सूर्य देव को उषा, सन्ध्या, और सूर्यास्त समय में पूजा जाता है। इसके अलावा, रविवार को उनकी विशेष पूजा होती है।
5. सूर्य देव के प्रति मंत्र क्या है?
- सूर्य देव के प्रति ज्ञान और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” यह मंत्र जाप किया जा सकता है। गायत्री मंत्र भी सूर्य की पूजा में उपयोगी है।
6. सूर्य देव के कितने रथ हैं?
- सूर्य देव के सात रथ होते हैं जिन्हें सप्त अश्व कहा जाता है। ये रथ उनकी दिन चक्रवृत्ति को संचालित करने के लिए हैं।