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7-सप्तश्वरथी सूर्य देव की आरती- Surya Aarti in Hindi pdf-सूर्य आरती का महत्त्व

सूर्य आरती || Surya Aarti in Hindi pdf ||सूर्य आरती का महत्त्व

सूर्य आरती- Surya Aarti in Hindi pdf-सूर्य आरती का महत्त्व: सूर्य, हमारे सौरमंडल का केंद्रीय तारा है जिसे हिंदी में ‘सूर्य’ कहा जाता है। इसके अलावा, इसे आदित्य, भानु, रवि, अर्क, और पूषा भी कहा जाता है। इसका प्रतीक एक गोल आकार का है, जिस पर चार हाथी वाला एक रथ चलाया जाता है। सूर्य, सबसे प्रकाशमान तारा है और इसलिए यह प्रमुख दिन का स्रोत है। इसका आकार गोल है और यह पृथ्वी से लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।

गुणधर्मजानकारी
नामसूर्य
उपनामआदित्य, भानु, रवि, अर्क, पूषा
प्रतीकगोल आकार, सात घोड़ों वाला रथ
प्रकाशमानतासबसे प्रकाशमान तारा, प्रमुख दिन का स्रोत
आकारगोल (सितारा)
दूरीपृथ्वी से लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर
दिन की लंबाईपृथ्वी के चक्कर को पूरा करने में 24 घंटे
प्रमुख पर्वसूर्य संक्रांति, छठ पूजा
पौराणिक भूमिकाप्रमुख सौर देवता, दिन और रात को नियंत्रित करते हैं
धार्मिक महत्वहिन्दू धर्म में सूर्य को भगवान माना जाता है
महत्वहिन्दू धर्म में जीवन-दाता और ऊर्जा का स्रोत
मंत्र“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”
रंगगहरे नारंगी या लाल, भगवा
तापमानकई लाख डिग्री सेल्सियस
उपयोगऊर्जा, जल, वन्यजीव, खाद्य स्रोत

सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 24 घंटे लगते हैं, जिससे दिन और रात का चक्र बनता है। सूर्य संक्रांति और छठ पूजा जैसे पर्वों में इसका पूजन किया जाता है और हिन्दू धर्म में इसे भगवान माना जाता है। इसका रंग गहरा नारंगी या लाल होता है और इसका तापमान कई लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। सूर्य का उपयोग ऊर्जा, जल, वन्यजीव, और खाद्य स्रोत के रूप में किया जाता है।

सूर्य, हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमारे सौरमंडल की रौशनी और ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हिन्दू साहित्य और पौराणिक ग्रंथों में व्याख्यात है, जो हमें जीवन की प्रेरणा और ऊर्जा से भरपूर करती हैं।

सूर्य आरती || Surya Aarti in Hindi pdf ||सूर्य आरती का महत्त्व
सूर्य आरती- Surya Aarti in Hindi pdf-सूर्य आरती का महत्त्व

सूर्य आरती- Surya Aarti in Hindi pdf-सूर्य आरती का महत्त्व

श्री सूर्यदेव की आरती-Surya Aarti in Hindi

सूर्य आरती इन हिंदी

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

सूर्य आरती का महत्त्व (Surya Aarti Ka Mahatva)

सूर्य आरती का महत्त्व बहुत अधिक होता है। यह आरती सूर्य देवता की पूजा और स्तुति के रूप में की जाती है जो हिंदू धर्म में अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस आरती को सूर्य की प्रकाश के प्रति भक्ति और आभार व्यक्त करने के लिए समर्पित किया जाता है।

सूर्य देव जीवन का संचारक होते हैं और सभी प्राणियों के लिए जीवन का स्रोत माने जाते हैं। उनके बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। सूर्य देव को हमेशा से ही पूजा जाता रहा है और उनकी आरती एक प्रकार से उनका आभार व्यक्त करने का माध्यम है।

इस आरती के पाठ से सूर्य देव की कृपा मिलती है, जो समस्त दुःखों को दूर करने में मदद करती है। यह आरती उनकी शक्ति, उनकी रक्षा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होती है।

सूर्य आरती का पाठ करने से जीवन में प्रकाश, ऊर्जा, सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आरती भक्ति और आदर्शों का पालन करने के साथ-साथ जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा लाती है।

इस आरती का महत्त्व है क्योंकि यह हमें सूर्य देव के आदर्शों, प्रेम की भावना, और ध्यान की महत्त्वपूर्णता को याद दिलाती है। यह हमें विचारशीलता, सच्चे संस्कार और ध्यान में रहने की शिक्षा देती है, जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का स्रोत बनते हैं।

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यहां कुछ रोचक तथ्य (interesting facts) सूर्य के बारे में हैं: 30 Amazing Facts about Universe in Hindi

FAQ ON “SURYA AARTI “सूर्य आरती से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्नों के उत्तर हैं

सूर्य आरती क्या है?

सूर्य आरती सूर्य देव को समर्पित एक प्रार्थना गान है, जिसे सूर्य की पूजा और स्तुति के लिए पढ़ा जाता है। यह आरती सूर्य देव की महिमा और शक्ति की महानता को स्तुति करती है।

सूर्य आरती की महत्ता क्या है?

सूर्य आरती का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा मिलती है और जीवन में प्रकाश, सुख, और शांति की प्राप्ति होती है। यह आरती उनकी पूजा और स्तुति का माध्यम है और जीवन को प्रकाशित करती है।

सूर्य आरती का पाठ कैसे किया जाता है?

सूर्य आरती का पाठ विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ किया जाता है। इसे सुबह या संध्या के समय पढ़ना अधिक प्रशंसनीय माना जाता है।

सूर्य आरती के लाभ क्या हैं?

सूर्य आरती का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा मिलती है और जीवन में प्रकाश, ऊर्जा, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आरती ऊर्जा और प्रकाश की भावना बढ़ाती है।

सूर्य आरती की कुछ प्रमुख लाइन्स क्या हैं?

सूर्य आरती में कुछ महत्त्वपूर्ण लाइन्स हैं जो सूर्य देव की महिमा और शक्ति का स्तुति करती हैं। इनमें सूर्य देव की शक्ति, उनके आराधना का वर्णन किया गया है।

सूर्य आरती कब पढ़नी चाहिए?

सूर्य आरती को सुबह या संध्या के समय पढ़ना अधिक प्रशंसनीय माना जाता है। इससे दिन की शुरुआत या दिन को समाप्त करते समय सूर्य देव की पूजा और स्तुति की जाती है।

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